अरूण के 38 साल की राजनीति पर भाजपा के गजेन्द्र का ग्रहण, 48 हजार मतों के अंतर से हारे और हैट्रिक का सपना हो गया चूर, दो दर्जन उम्मीदवारों की दुर्ग शहर सीट पर कई नहीं पार कर पाए दहाई आकड़ा


अजीत यादव


भिलाई नगर बस्तर के माटी समाचार 4 दिसंबर। दुर्ग जिले की छ: विधानसभा सीटों में से 4 पर भाजपा प्रत्याशियों ने मजबूत अंतर से विजय दर्ज की है लेकिन दुर्ग शहर की सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा के गजेन्द्र यादव ने तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके कांग्रेस के बड़े चेहरे अरूण वोरा को जिले की सबसे बड़ी और करारी शिकस्त दी है। अरूण पहले चरण की मतगणना में ही गजेन्द्र यादव से ऐसे पिछड़े कि 6वें और अंतिम राउंड में मतों का अंतर 48 हजार को भी पार कर गया। कांग्रेस सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल बाद 2020 में अरूण को राज्य भंडार निगम का अध्यक्ष जरूर बनाया गया लेकिन दुर्ग विधानसभा में अपनी ठोस जमीन तैयार करने में अरूण फिर भी नाकामयाब ही रहे। अरूण कांग्रेस के कद्दावर नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के पुत्र होने और दुर्ग जिले की राजनीति में उनके परिवार की दखल के कारण पार्टी में बड़ा चेहरा जरूर हैं लेकिन कांग्रेस सरकार में लगातार उनकी उपेक्षा और अधिकारियों से अनबन के समाचार सुर्खियों में रहे। शहर में कई मुद्दों पर विधानसभा के व्यापारियों को लेकर वो जब भी सड़क पर उतरे प्रशासनिक अधिकारियों के खुले विरोध का उन्हें सामना करना पड़ा और सरकार में होने के बाद भी अरूण बेअसर और विवश देखे गए।
भाजपा ने इस सीट पर गजेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया जो कि आरएसएस पृष्ठभूमि के हैं और दुर्ग निगम में एक बार पार्षद भी रहे हैं। भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही नतीजतन टिकट मिलते ही गजेंद्र जमीनी स्तर पर जनसंपर्क में जुटे रहे। दुर्ग की जनता पर कांग्रेसी अरूण के पुराने चेहरे पर भाजपा के नये कंडीडेट गजेंद्र का जादू इस तरह चला कि मतदान करने वाले 1 लाख 51 हजार 88 वोटर्स में से लगभग 64 फीसदी लोगों ने उनको वोट किया है। गजेंद्र को 96 हजार 651 वोट मिले जबकि अरूण वोरा को 48 हजार 376 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। निर्दलीय इंद्राणी बाई साहू को 665, अरूण जोशी को 522, पंकज कुमार को 506 मत मिले हैं। दो दर्जन प्रत्याशियों वाली इस विधानसभा में तीन प्रत्याशी ऐसे भी रहे जो कि दहाई का भी आंकड़ा पार नहीं कर सके हैं। निर्दलीय सुनील बंजारे को 42, बालकिशन को 52, भारत भूषण 54, वर्षा रितु यादव 94, अजय अंबर को 98 मत पर संतोष करना पड़ा है।
अरुण वोरा कद्दावर कांग्रेसी नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के पुत्र हैं। वे दुर्ग जिले के दुर्ग शहर विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। यह एक अनारक्षित सीट है अरुण वोरा तीसरी बार विधायक बने हैं सबसे पहले भी 1993 में विधानसभा हेतु निर्वाचित हुए थे वह कांग्रेश के दुर्ग शहर के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। अरुण वोरा को राज्य भंडार गृह निगम का अध्यक्ष बना कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया है।
अरुण वोरा 1990 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दुर्ग शहर के अध्यक्ष बने। 1993 में वे पहली बार विधानसभा हेतु निर्वाचित हुए। जिसके बाद वे 2013 में दूसरी बार व 2018 में तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए। तीसरी बार वह दुर्ग शहर विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। वे संरक्षक राष्ट्रीय पर्व उत्सव समिति दुर्ग रहे हैं। 2013 में वो छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामंत्री रहे हैं। 2014–15 में सदस्य पटल पर रखे गए पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति, छतीसगढ़ विधानसभा रहे है।
दुर्ग शहर सीट पर गजेंद्र यादव की बड़ी जीत से ज्यादा चर्चा अरूण वोरा की ऐतिहासिक मतों से हार की हो रही है। आपको बता दें कि तीन दशक पहले 1993 में पहली बार विधायक बने अरूण 20 वर्ष बाद 2013 और 2018 में तीसरी बार जीते थे। उन्हें भाजपा के स्व. हेमचंद यादव ने लगातार तीन बाद पराजित किया था। इस अपनी जीत की हैट्रिक के प्रयास में चुनावी समर में कूदे अरूण वोरा जिले में सर्वाधिक मतों के अंतर से पराजित हुए हैं।
गौरतलब हो कि गजेंद्र यादव के पिता बिसराराम यादव आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता हैं और गजेंद्र यादव भी बचपन से ही आरएसएस पृष्ठभूमि के रहे हैं। दुर्ग शहर के लोगों ने भाजपा के गजेन्द्र के पक्ष में मतदान कर आसन्न लोकसभा चुनाव के लिए दुर्ग जिले का द्वार पुन: खोल दिया है।

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