जब कहा तो किया क्यों नहीं ! कौन सुने संविदाकर्मी को पीड़ा

घनश्याम यादव
बीजापुर बस्तर के माटी _ 28/06/2023_ छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले जिले के सभी विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारी साढ़े चार साल बाद भी जन घोषणा पत्र में किए गए सरकार के वादे संविदा कर्मचारियों के नियमितिकरण को पूरा नहीं होने के कारण हड़ताल पर जा रहे हैं। विगत माह 3000 किलोमिटर की रथयात्रा पूर्ण कर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण नहीं होने के संबंध में 33 जिला कलेक्टर, विधायकों को ज्ञापन सौंपा है। इसके बाद भी सरकार द्वारा संवादहीनता की स्थिति निर्मित करने के कारण प्रदेश के 45 हज़ार संविदा कर्मचारी 03 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। जिला स्तर पर इसकी सूचना अपर कलेक्टर श्रीमती सुमन राज को कर्मचारियों ने से दिया है।
प्रांताध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने बताया कि सरकार ने हम संविदा कर्मचारियों से 2018 के चुनाव के जनघोषण पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में नियमितिकरण का वादा किया था । परन्तु सरकार द्वारा 4 साल 6 माह बीत जाने के बाद भी वादा कर पूरा न करना यह गैर लोकतांत्रिक हैं।
जिला अध्यक्ष रमाकांत पुनेठा ने कहा कि इन साढ़े चार साल में सरकार की तरफ से संवादहीनता की स्थिति है । रथयात्रा में 33 जिला कलेक्टर को और कई कांग्रेस मंत्रीगण , विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने के बाद भी संवाद कायम नहीं किया गया यह लोकतंत्र में चिंताजनक एवं दुखद है। सरकार के खिलाफ कर्मचारियों में बेहद आक्रोश व्याप्त है।


महासंघ के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सिन्हा और अशोक कुर्रे ने बताया कि, कांग्रेस के कई बड़े नेता के अलावा सरकार के मुखिया के नाते माननीय मुख्यमंत्री महोदय विधानसभा में या अन्य मीडिया माध्यमों में नियमितीकरण की अपनी बात तो कहते हैं किंतु आज तक इस पर किसी भी प्रकार का ठोस अमल नहीं किया गया । रथयात्रा के माध्यम से रायपुर तूता में एकत्रित संविदा कर्मी की भीड़ 2024 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में किस पार्टी की सरकार बनेगी यह तय करेगी। इस सरकार को सचेत होना चाहिए । महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने कहा कि विगत साढ़े 04 वर्षों से विभिन्न आवेदन, निवेदन एवम मुलाकात के माध्यम से सरकार को संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग से अवगत करवाते रहे हैं। किंतु सरकार के द्वारा इस मांग पर कोई विचार नहीं किया गया, बल्कि सरकार के द्वारा संवाद हीनता की स्थिति बनी हुई हैं। ऐसा लग रहा है मानो सरकार स्वयं संविदा कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन आंदोलन के लिए विवश कर रहे हैं। इनके आंदोलनरत होने से स्वास्थ्य, पंचायत, शिक्षा, महिला बाल विकास विभाग, कृषि विभाग, कलेक्टर कार्यालय आदि में काफी प्रभाव पड़ेगा।।

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