अजीत यादव
राजनांदगांव बस्तर के माटी/राजनांदगांव विधानसभा सीट इस बार भी पूरी तरह से बाहरीवाद के हवाले हो चुका है। भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बाद अब कांग्रेस ने भी गिरीश देवांगन को उम्मीदवाद बना दिया है। 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस ने यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को उतारा था।
इस राजनीतिक समीकरण में स्थानीय नेता तमाशबीन की भूमिका में ही रह गए हैं। स्थानीय राजनीतिज्ञ इतने विवश है कि वे चाहकर भी मुंह खोलने की स्थिति में नहीं है। वहीं आम मतदाता के पास बाहरी विधायक को वोट देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह कवर्धा के निवासी है। 2003 में वे राजनांगांव जिले के डोगरगांव से चुनाव लड़े थे। उनके लिए तब के विधायक प्रदीप गांधी ने अपनी सीट छोड़ी थी। उसके बाद 2008 में उन्होंने राजनांदगांव से चुनाव लड़ा। फिर 2013 और 2018 में डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव से ही जीतकर लगातार विधायक बने। अब 2023 के आम चुनाव में चौथी बार राजनांदगांव से विधायक प्रत्याशी है।
गिरीश देवांगन रायपुर के करीब खरोरा के रहने वाले है। वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काफी करीबी नेता है। संगठन में उनकी अच्छी पैठ है। इस बार कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ उन्हें उतारा है। टिकट फाइनल होने के बाद कांग्रेस का दावा कर रही है कि इस बार राजनांदगांव से भाजपा हारेगी। वहीं भाजपा में चर्चा है कि इस बार डॉ. रमन सिंह और अधिक वोटों से जीतेंगे।
गिरीश देवांगन, डॉ. रमन सिंह, राजनांदगांव विधानसभा
राजनांदगांव सीट बाहरीवाद के हवाले, तमाशबीन की भूमिका में local politician
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