प्रधान संपादक घनश्याम यादव
बीजापुर बस्तर के माटी :- छत्तीसगढ़ प्रदेश में सरकार आदिवासी बहुल इलाकों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आवासीय व्यवस्था के साथ साथ कपड़े, जूते, पुस्तक और खाने पीने की समुचित व्यवस्था कर रही है ।
आदिवासी बच्चों को प्रति वर्ष गणवेश एवं अन्य आवश्यक सामग्री हेतु करोड़ों की बजट सरकार से जिला प्रशासन को प्रदान की जाती है जिसमें जिले भर के कन्या आश्रम और बालक आश्रम की बच्चों को गणवेश की सिलाई हेतु थान कपड़ा क्रय कर महिला स्व सहायता समूह को सौंपा जाता है ऐसे ही बीजापुर कलेक्ट्रेट कार्यालय से महज 500 मीटर की दूरी पर डारापारा आंगनबाड़ी केंद्र के समीप बने सामुदायिक भवन में सिलाई कर कपड़े रखे गए थे।जिसे भवन से बाहर फेंक देने का आदेश स्व सहायता समूह को दिया गया ताकि उस भवन पर राशन दुकान संचालित हो सके।
आखिर शिक्षा विभाग ने लाखों रुपए का स्कूली बच्चों का गणवेश कैसे कचरे का ढेर में तब्दील हो गया।अब इससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग पुनः सरकार से मिलने वाली राशि का बंदरबांट करने की योजना बनाई है।
आपको बता दें कि लगभग एक वर्ष पूर्व आश्रम अधीक्षक और आश्रम अधीक्षिकाओं से आश्रमों के एक माह का लगभग 50 हजार रूपए शिष्यवृत्ति जबरन ली गई ताकि स्कूली बच्चों के लिए गणवेश क्रय किया जा सके।
लेकिन लाखों रुपए की स्कूली बच्चों का गणवेश अब कचरे का ढेर में परिवर्तित हो गया इसकी जवाबदेही किसकी है।